गुरुवार, 29 जून 2017

"अनजान  सा .. "


अनजान सा मैं आया था ,
विदवान सा बन गया | 
दुनिया भर की बातें ,
मुझे में भर गया | 
गलत और सही सही को मैं समझा ,
अमीरी गरीबी को मैं परखा | 
मैं घर और दवार समझा, 
मैं भूमि और भूमिका समझा | 
हमारा क्या है तुम्हारा क्या ,
उनको भी मैं समझा लेकिन 
किसी ने | 
माँ की ममता को , 
पिता की पसीने की | 
कीमत नहीं समझा ,

          नाम =देवा ,class 8th ,अपना घर 

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