रविवार, 5 मार्च 2017

कविता: चिड़िया

"चिड़िया"
 
छोटी - छोटी चिड़िया है,
कितनी रंग बिरंगी है ।
बाग़ बगीचे में रहती है,
भोजन की चिंता नहीं करती है ।
इधर फुदकती उधर फुदकती,
झट से जाकर वो फूल चूसती।
पेड़ की डाल पर बैठकर चहचहाती,
खूब शोर मचाती और फिर उड़ जाती।
इन चिड़ियों को हमें मिलकर बचाना है,
इस धरती को और खूबसूरत बनाना है ।

कवि: रविकिशन, कक्षा 7th, कानपुर

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