गुरुवार, 20 अक्टूबर 2016



बारिस 
            ये बारिस कुछ कहना चाह रही हैं ,
शायद ये हमें बुला रही हैं /
हवा के बहाव में वृते ,
       झूम-झूमकर कुछ जता रही हैं /
जिंदगी में हँसते रहना ,
ये हमें बता रही हैं /
   सुहानी हवा की बहती लहरे,
चलते रहना हमें सिखाती /
   जब तक मंज़िल पालों न अपनी ,
   रुकने का शब्द ज़ुबान पर न आती /
  ये बारिशें कुछ कहना छह रही हैं ,
 हवाओं के साथ संदेसा ला रही हैं /

                                 नाम = देवराज 
                                कक्षा = 6th 

1 टिप्पणी: