शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

आज कही से सुंदर आई

आज कही से सुंदर आई 
आज कही से सुंदर आई 
मन को मेरी लुभाई 
मैने उस आवाज का आनद 
उठाई रात से गई सुबह मुझे 
न आई सोने का मेरा मन कर 
रहा था परन्तु आवाज सुनकर 
नीद नहीं आई उठकर 
जागवर खड़े हो गए 
मैंने तुरन्त उस आवाज 
को बंद करवाई 

                   विक्रम कुमार 
                       कक्षा -५ 
                    अपना घर कानपुर

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