सोमवार, 23 मार्च 2015

कविता: आती मौका एक बार

आती मौका एक बार 

आती मौका एक बार 
मेहनत करना रात -दिन
 खाये न पीये बिन 
मुसीबत से न घबराता यार 
आती मौका एक बार 
चाहे पढाई हो चाहे खेल -कूद 
किसी से न हटना दूर
कोशिश करना बार -बार 
क्योकि मौका आती एक बार
 पढाई हो चाहे खेल का मैदान
 देवा हटा नहीं है ये सबसे यार 
जल्दी मैं नहीं मानता हूँ हार 
देवा कुमार, कक्षा -4, अपना घर, कानपुर

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