प्राणी जा रहा
प्राणी बड़ा ही बंधा हुआ ,
साबित होता जा रहा है .....
हर एक प्राणी ,
प्राणी के पीछे से जा रहा है .....
जो वो कर रहा है,
वही करने की वो सोच रहा है ......
न उसकी अपनी समझ है ,
न ही अपनी सोच है ......
जो देख रहा है प्रक्रति और संसार से ,
वो वही कर रहा है ......
हर एक प्राणी ,
प्राणी के पीछे जा रहा है ......
अब वह समय दूर नहीं ,
जिसमें प्राणी को प्राणी बाधेगा .....
आँगन की उस चौपाल में,
जहां प्राणी ही प्राणी आयेगा .....
प्राणी को देख के ,
प्राणी के मुख में मुस्कान होगी .....
हर एक प्राणी ,
प्राणी के पीछे जा रहा है .......
लेखक : अशोक कुमार
कक्षा : १०
अपना घर
प्राणी बड़ा ही बंधा हुआ ,
साबित होता जा रहा है .....
हर एक प्राणी ,
प्राणी के पीछे से जा रहा है .....
जो वो कर रहा है,
वही करने की वो सोच रहा है ......
न उसकी अपनी समझ है ,
न ही अपनी सोच है ......
जो देख रहा है प्रक्रति और संसार से ,
वो वही कर रहा है ......
हर एक प्राणी ,
प्राणी के पीछे जा रहा है ......
अब वह समय दूर नहीं ,
जिसमें प्राणी को प्राणी बाधेगा .....
आँगन की उस चौपाल में,
जहां प्राणी ही प्राणी आयेगा .....
प्राणी को देख के ,
प्राणी के मुख में मुस्कान होगी .....
हर एक प्राणी ,
प्राणी के पीछे जा रहा है .......
लेखक : अशोक कुमार
कक्षा : १०
अपना घर
पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
जवाब देंहटाएंकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बाल दिवस विशेषांक बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं यानि बच्चे किसी से कम नहीं मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !