शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

शीर्षक : ठंडी

              "ठंडी"
इस बार ठण्ड का आया मौसम ।
जिससे की सारा शहर गया सहम ।।
तूने न पहचान ये तेरा है भ्रम ।
सर्दी में बोले हर -हर गंगे हम ।।
सूरज न दिखता , ये तेरा है भ्रम ।
सर्दी में कोहरे का कोहराम ।।
सुन लो बच्चो सुन लो तुम ।
छुट्टी में कर लो आराम ।
इतना भी न करना आराम ।।
कि कोई न दे तुमको काम ।
कुछ काम करो और हो जाओ लायक ।
जिससे न कहा पाए कोई मक्कार , निक्कमा ,नालायक !
नाम : आशीष कुमार, कक्षा 10, अपना घर, कानपुर  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें