शनिवार, 22 दिसंबर 2012

शीर्षक : रात हमारी

 रात हमारी 
अगर न होती रात हमारी ।।
हमको दिखता उजाला ही उजाला ।
अगर न होता सूरज दिन को ।
कैसे चमकता हमारा वातावरण ।।
पर्वत न  होते ऊँचे - ऊँचे ।
तो इसको पहाडो से बहाता  कौन ।।
 अगर न होती रात हमारी ।।
तो उजाला हमको दिखाता  कौन ।
रात को तारे चमकते है सारे  ।
दिखने में लगते चाँद सितारे ।।
नाम : जितेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर ,कानपुर 

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