मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

शीर्षक : सोचो फिर चलो

    सोचो फिर चलो 
पहले सोचो फिर समझो ।
फिर करने की ठानो ।।
ये कुदरत की कहानी है ।
हस करके तो देखो ।।
हिम्मत रखो करने की ।
पहले से क्यों डरते हो ।।
चलने से पहले उस पथ में ।
क्यो पीछे हटते हो ।।
कुछ नहीं है ।
हम में तुम में ।।
सब एक जैसी तो है ।
फिर क्यों नहीं चलते एक साथ ।।
कुछ तो है ।
आपस में भेद ।।
जो करने नहीं दे रहा भेट ।
 पहले सोचो फिर समझो ।
 ये कुदरत की कहानी है ।।
डर  कर के तो देखो ।
नाम : अशोक कुमार 
कक्षा :10
अपना घर , कानपुर 

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