शनिवार, 1 दिसंबर 2012

शीर्षक : दुष्ट दरिन्दे

        दुष्ट दरिन्दे 
कुछ लोग तो दुष्ट  दरिन्दे है ।
अपने लिए अपनो को लूटा करते है ।।
वो चिल्लाती रहती नहीं - नहीं  ,
फिर भी हम तरस नहीं करते है ।।
फिर कहते है जाने दो यार ,
अपनी बहन कौन , पड़ोसी की है ।।
कुछ लोग तो दुष्ट  दरिन्दे है ।
उनके भी कुछ अरमान होंगे ।।
नहीं सोचते हम उनकी वर्तमान की ।
कैसे वो रहेगी क्या करेगी ।।
नहीं सोचते उनके परिवार के लिए ,
कि उन पर क्या बीतेगी ।।
नहीं सोचते उनके लिए ,
कैसे वो घुट -घुट जियेगी ।।
 कुछ लोग तो दुष्ट  दरिन्दे है ।
 अपने लिए अपनो को लूटा करते है ।।
नहीं सोचते उनके समाज के लिए ।
क्या वो मुंह दिखाने लायक रहेगी ।।
 कुछ लोग तो दुष्ट  दरिन्दे है ।
  अपने लिए अपनो को लूटा करते है ।।
नाम : सागर कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर ,कानपुर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें