रविवार, 30 सितंबर 2012

शीर्षक :- पानी

     शीर्षक :-  पानी
 पानी बरसा झमाझम ।
 धान लगाएंगे  खेतो  मे हम ।।
 मक्का भी अब लगायेंगे ।
 मक्का  खूब हम खायेंगे ।।
 किसानो की तो  प्रसन्नाता आ गई।
 बदल तो पानी बरसा गई ।।
 किसानो के खेत  लहलहाने लगे।
 बादल अब तो पानी  बरसाने लगे।।
 रात की  चाँदनी मे लहलहाएंगे खेत।
 खेतो मे  नही है कोई रेत ।।
 पानी बरसा झमाझम ।
  धान लगाएंगे  खेतो  मे हम  ।।
नाम :मुकेश  कुमार 
कक्षा :11
 अपना घर ,कानपुर 

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