शीर्षक:- कुछ पल की बातें
हर पल एक बात।
नयी शुरू होती है।।
दो पल की बातें है।
जो हर पल होती है।।
शुरू में वे मीठी लगती है।
घुल मिल जाने के बाद।।
वही बात बुरी लगती है।
हा-हा ही-ही की बातों में।।
वही बात बुरी लग जाती है।
वही बात सभी से होती है।।
जो मिलता उसी पर चर्चा होती है।
जब भी होती चर्चा।।
एक नयी बात जुडती है।
हर पल एक बात।।
नयी शुरू होती है।
हर पल एक बात।
नयी शुरू होती है।।
दो पल की बातें है।
जो हर पल होती है।।
शुरू में वे मीठी लगती है।
घुल मिल जाने के बाद।।
वही बात बुरी लगती है।
हा-हा ही-ही की बातों में।।
वही बात बुरी लग जाती है।
वही बात सभी से होती है।।
जो मिलता उसी पर चर्चा होती है।
जब भी होती चर्चा।।
एक नयी बात जुडती है।
हर पल एक बात।।
नयी शुरू होती है।
कवि:- अशोक कुमार
कक्षा:- 10
अपना घर
Kamal ka hunar hai is bachche Ashok me, tareef ke qabil
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