गुरुवार, 30 अगस्त 2012

शीर्षक :- पतंग

शीर्षक :- पतंग 
आकाश और गगन में। 
उड़े पतंग संग में।। 
मन चाहा घूमा करती। 
पक्षियों से बातें करती।। 
ठुमक-ठुमक कर नाचा करती। 
सभी के मन को भाती।। 
पतंग ये ऐसी उड़-उड़ जाती। 
मन चाहा ऊपर जाती।। 
मन चाहे तो नीचे आती। 
मन चाहा घूमा करती।। 
आकाश और गगन में। 
कवि:- हंसराज कुमार 
कक्षा:- 9 
अपना घर 

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