गुरुवार, 26 जुलाई 2012

शीर्षक :- सपनो की दुनिया

शीर्षक :- सपनो की दुनिया 
सपनो की दुनिया में....
अपनों की क्या जरुरत है,
ख़ुशी भी होती....
जब हर पल घूमने की,
कल्पना होती है....
उस समय अँधेरे में भी,
दिन नजर आता है....
पहाड़ी से कूदने में,
बड़ा मजा आता है....
बहती हुई नदी की,
कल्पना होती है....
सपनो की बात जब,
दोस्तों से होती है....
तो उस पल की हंसी की,
कोई सीमा नहीं होती है....
जब अगले दिन मिलते है,
तो फिर सपनो की बात होती है....
हर दिन एक नई,
कहानी की शुरुआत होती है....
वह दिन सबके लिए खास होता है,
सबके पास अपने-अपने....
दो चार सपने होते है,
सपनो की दुनिया में....
अपनों की क्या जरुरत है,
ख़ुशी भी होती है....
जब हर पल घूमने की,
कल्पना होती है....
कवि : अशोक कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर

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