मंगलवार, 19 जून 2012

शीर्षक :- मन में कोई बात नहीं

शीर्षक :- मन में कोई बात नहीं 
फकीर कहें या गरीब कहें....  
या पेट का मरीज कहें,
रोजा का कोई दोष नहीं....
मन में कोई चाहत नहीं,
मन में ऐसी कोई बात नहीं....
करने की कुछ आजादी नहीं,
जाने को कहीं बीमारी नहीं....
पढ़ने में कोई आहट नहीं,
मन में कोई चाहत नहीं....
मन में ऐसी कोई बात नहीं,
बनने की जो चाहत....
घर में इसका कोई जवाब नहीं,
कहें क्या खुद से....
मन न लगे बुक में,
मन में कोई चाहत नहीं....
बुक पास में, लेकिन पढ़ने की कोई चाहत नहीं,
कवि : अशोक कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर 

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