मंगलवार, 22 मई 2012

कविता :- खिले फूल

कविता :- खिले फूल
फूल हैं डाली-डाली.... 
माली तोड़े हाली-हाली,
वन उपवन में खिलते फूल....
नहीं पा रहे हँसना भूल, 
फूल पत्तियों का है अपना मौसम....
मरने जीने का उनको भी होता है गम,
फूलों में होती है तमाम विशेषता....
फूलों में होती है एकता,
फूलों से माला बनती है....
देवी देवताओं के गले में चढ़ती है,
फूल के बिना है उपवन सूना....
फूलों की डाली को मत छूना,
फूल का है अंदाज निराला....
नहीं उसे कोई मारने वाला,
फूल हैं डाली-डाली.... 
माली तोड़े हाली-हाली,
नाम : मुकेश कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर  

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