रविवार, 6 मई 2012

कविता :-कुछ छुपा हुआ था

कुछ छुपा हुआ था 
इस देश में छुपी हुई थी....
उन खजानों की बोरी,
ये सब तो अंग्रेज ले गए....
हमें थमा गए कटोरी,
ये देख कर हमें बचाने....
आये कई बड़े राजा और रानी,
अंग्रेज ले गए आलीशान बंगला....
हमें थमा गए टुटा छज्जा,
छज्जे से टपक रहा था पानी....
उसमे बहे राजा और रानी,
तब अंग्रेजो ने ठानी....
करेंगे हम देश में मनमानी,
इस देश में छुपी हुई थी....
उन खजानों की बोरी,
ये सब तो अंग्रेज ले गए....
हमें थमा गए कटोरी,
नाम :सोनू कुमार 
कक्षा :10
अपना घर 

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