सोमवार, 23 अप्रैल 2012

कविता :-अँधेरी रात

अँधेरी रात
रात के अँधेरे में ....
दिन के सवेरों में ,
मैं सो रहा था ....
अचानक सपनों में ख्याल आया,
हमें उड़ते हुए पक्षियों का ध्यान आया....  
अपने जिन्दगी का एक सवाल उठाया,
तुम कब तक ऐसे जाते रहोगे....
क्या तुम मंजिल पाओगे,
होनी चाहिए कोई एक ख्वाइस....
जिसमें हो मंजिल और लक्ष्य का रहस्य,
नाम :लवकुश कुमार 
कक्षा :8 
अपना घर
 

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