शनिवार, 10 मार्च 2012

कविता : सड़क

 सड़क

कानपुर की सड़क .....
आपने देखी की नहीं देखी ,
यहाँ हुई धक्का-मुक्की .....
आपने भोगी की नहीं भोगी,
एक बार हम जा रहे थे बारात .....
तब हो चुकी थी आधी रात ,
हम तो केवल उन्हें रास्ता ....
ही बता रहे थे ,
बस को तो केवल ड्राइवर साहब ......
ही चला रहे थे ,
तभी आया एक गड्ढा....
येसा दिखा जैसे खुद गया भठ्ठा,
तभी एक हल्की प्रकश ......
की ट्यूब लाईट जली ,
मैने सोचा इससे तो .......
अपनी ही माचिश भली ,
तीली तो जल्दी बुझ जायेगी ......
लेकिन रास्ता तो साफ बतलायेगी,
कानपुर का नगर निगम है......
बहुत देश प्रेमी और सच्चा,
इसलिए तो कानपुर में गड्ढा .....
मिलता है गहरा और बड़ा अच्छे ,      

लेखक : सोनू कुमार 
कक्षा : 10  
अपना घर 

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