शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

कविता -मौन को हैं तोड़ना

कविता -मौन को हैं तोड़ना
तू चला हैं ,
 किस रह पे  ......
दुनिया भर में झमेला हैं,
तूने गमों को झेला हैं....
 मासूमियत झलकती हैं ,
तेरे चेहरे पर .....
रहम करेगा कौन ,
तू तो हमेशा रहता हैं मौन .....
अब न चलेगा बहाना,
तुझे है यदि आगे बढ़ना ......
तो पड़ेगा तुझे मौन तोड़ना........
लेखक - आशीष कुमार 
कक्षा -9 अपना घर , कानपुर  

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