शनिवार, 10 दिसंबर 2011

कविता - शोर

कविता - शोर 
 शोर -शोर में ,
सब हो गए बोर.....
 कहने लगे बंद करो ये शोर,
 बंद हुआ जब मुख का शोर .....
 शुरू  हो गया मोबाइल का शोर ,
 शोर -शोर में .....
 सब हो गए बोर ,
बनाना पड़ेगा कोई ऐसा फोन.....
 जिससे हो न कही शोर ,
 लोग भी न हो बोर.....
करे हम सब ऐसा विचार,
जिससे बन जाये ऐसा टेलीफोन........
लेखक - अशोक कुमार 
 कक्षा -९ अपना घर ,कानपुर

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