कविता - सफ़र जिन्दगी का
जिस पथ में चला हैं ,
वह पथ बहुत कठिन हैं.....
जैसे कि प्रथ्वी के तीन भाग में जल हैं,
और एक भाग में जमीन हैं ......
समय नहीं करता हैं इंतजार ,
आप चाहे जितना करे विचार......
आपका हैं इतना कठिन सफ़र ,
यदि पथ से भटके तो न होगा बेडा पार.....
ये सफ़र हैं आपकी जिन्दगी का ,
अब समय इंतजार न करेगा आप का.....
पथ में कांटे भी आयेगे ,
लोग भी आप को सतायेगे......
आप किसी से न दरियेगा ,
आप अपने लक्ष्य में अडिग रहकर चलियेगा......
जिस पथ में चला हैं ,
वह पथ बहुत कठिन हैं.....
जैसे कि प्रथ्वी के तीन भाग में जल हैं,
और एक भाग में जमीन हैं ......
समय नहीं करता हैं इंतजार ,
आप चाहे जितना करे विचार......
आपका हैं इतना कठिन सफ़र ,
यदि पथ से भटके तो न होगा बेडा पार.....
ये सफ़र हैं आपकी जिन्दगी का ,
अब समय इंतजार न करेगा आप का.....
पथ में कांटे भी आयेगे ,
लोग भी आप को सतायेगे......
आप किसी से न दरियेगा ,
आप अपने लक्ष्य में अडिग रहकर चलियेगा......
लेखक - आशीष कुमार
कक्षा - ९ अपना घर, कानपुर
बहुत सुन्दर बात कही है... समय किसी का इंतज़ार नहीं करता, हमें समय के साथ चलना पड़ता है...
जवाब देंहटाएं