सोमवार, 29 अगस्त 2011

कविता : हम किसे कहें आजादी

 हम किसे कहें आजादी

हम किसे कहें आजादी ,
हम तो हैं बचपन से गुलामों के बंधन में.....
कभी घर के तो कभी बाहर के,
यह क्या है फिर आजादी......
सारा जीवन तो है गुलामी में,
फिर हम किसे कहें आजादी......
हम हैं बचपन से गुलामों के बंधन में,
कभी घर के तो कभी बाहर के.......

लेखक : अशोक कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर

3 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात कही है...बहुत खूब...सुन्दर कविता!!!

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  2. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ....बधाई

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  3. हम तो हैं बचपन से गुलामों के बंधन में
    या
    हम तो हैं बचपन से गुलामी के बंधन में
    स्पष्ट नहीं !
    सुधा भार्गव

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