शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

कविता - भ्रष्टाचार

 भ्रष्टाचार
ख़त्म करो यह भ्रषाचार,
ख़त्म करो यह दुराचार ......
यूथ का हैं यह जमाना  ,
देश तेरे साथ हैं अन्ना हजारे ........
कल्यामानी जैसे लोगो का ,
क्यां हैं अब कहना .......
उन्हें तो पड़ा हैं बस लूटना ,
सोना चांदी और गहना........
अन्ना के यूथ समर्थन में ,
आ सकती हैं क्रान्ती.......
इससे बंद हो सकता हैं ,
नेतओं का हुक्का और पानी ..........
लेख़क - सागर कुमार
कक्षा - ८ अपना घर ,कानपुर

1 टिप्पणी:

  1. अच्छी कविता...अन्ना देश के लिए आपके इस संघर्ष में हम सब बच्चे आपके साथ हैं!!!

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