रविवार, 10 अप्रैल 2011

कविता : मानव-दानव का आधार मूल

मानव-दानव का आधार मूल 

मानव भी इस दुनियाँ में ,
दानव का आधार मूल ....
दानव जो हरकत करता,
वो मानव में हैं छुपी हुई....
जब-जब करता वो इस्तेमाल ,
होते दंगे और फसाद.....
दोनों में से कोई एक जीता ,
फिर वह अपना आतंक फैलाता ....
 न वह किसी को मानता ,
वह अपने खोया रहता .....

लेखक : अशोक कुमार 
कक्षा : 8
 अपना घर

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