गुरुवार, 3 मार्च 2011

कविता - गाड़ी

कविता - गाड़ी 
गाड़ी जब मेरी चलती हैं ,
मनजिल  तक पहुँचती हैं.....
गाड़ी पर हो जाते हैं ,
भइया तीन सवार ....
दूसरा भइया बोलता ,
ओं मेरे प्यारे भइया ....
सम्भलकर चलाना गाड़ी को ,
रस्से में खड़ी हैं  एक गईया.....
लड़का बोला हाय रे ,
रस्ते से हट जा मेरी मईया....
अगर गिर गया भइया ,
तो मर जायेगे  भइया ....
गाड़ी जब चलाती हैं ,
मनजिल तक पहुँचती....
लेखक - जीतेन्द्र कुमार 
कक्षा - ७ 
अपना घर ,कानपुर

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