देखो बसंत ऋतु है आयी ।
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी ॥
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई ।
घर-घर में हैं हरियाली छाई ॥
हरियाली बसंत ऋतु में आती है ।
गर्मी में हरियाली चली जाती है ॥
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है ।
यही चक्र चलता रहता है ॥
नहीं किसी को नुकसान होता है ।
देखो बसंत ऋतु है आयी ॥
लेख़क :चन्दन कुमार
कक्षा :5
अपना घर
कक्षा :5
अपना घर
वाह! बहुत सुन्दर, लिखते रहो!
जवाब देंहटाएंI LIKE TO BJG
जवाब देंहटाएंvery good ....
जवाब देंहटाएंbahut aacha tha
जवाब देंहटाएंso beautiful poem
जवाब देंहटाएंexcellent poem----------
जवाब देंहटाएंMRS PREM KOHLI-TEACHER
Bhaut gooooooooooooooood poem.
जवाब देंहटाएंI like it