मंगलवार, 2 नवंबर 2010

कविता :एक गाय की प्यारी बछिया

एक गाय की प्यारी बछिया

एक गाय की बछिया नीली ,
आँखे थी उसकी पीली-पीली ....
दिखने में लगती छैल-छबीली ,
भागे तो लगती रंग-रंगीली ....
ताजी हरी घास को वो खाती ,
कभी-कभी वह उस पर सो जाती ....
उसकी माँ जब उसे बुलाती ,
मां-मां करती दौड़ी आती ....
सबको लगती थी वह प्यारी ,
इसलिए नाम था उसका रामप्यारी ....

लेख़क :आशीष कुमार
कक्षा :8
अपना घर

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