शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

कविता मोर हमारा

मोर हमारा
मोर हमारा कितना रंग बिरंगा ,
फुदुक फुदुक कर नाच दिखाता....
फुर्र फुर्र कर वह झट उड़ जाता ,
मोर हमारा कितना रंग बिरंगा ....
हमारे पास न आता वो,
न हमारे संग खेला करता ....
फुर्र फुर्र कर वह झट उड़ जाता ,
मोर हमारा कितना रंग बिरंगा .....
लेख़क चन्दन कुमार कक्षा ५ अपना घर कानपुर

5 टिप्‍पणियां:

  1. बेटा, मोर पुलिंग होता है और मोरनी स्त्रीलिंग...फिर से पढ़ो अपनी कविता...

    एक बार और कोशिश करो..

    शाबास!

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  2. मैं उड़न तश्तरी जी से सहमत हूँ
    बच्चे की कविता में बड़ों को सुधार करना चाहिए था

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  3. समीर अंकल ने कहा है तो सही ही होगा...
    नवरात्र और दशहरा...धूमधाम वाले दिन आए...बधाई !!

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  4. कविता कक्षा 5 क् छात्र चन्दन कुमार ने लिखी है!
    प्रतिभा औप साहस प्रशंसनीय है!
    हार्दिक बधाई देता हूँ!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/23.html

    जवाब देंहटाएं
  5. कविता कक्षा 5 क् छात्र चन्दन कुमार ने लिखी है!
    प्रतिभा औप साहस प्रशंसनीय है!
    हार्दिक बधाई देता हूँ!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/23.html

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