मंगलवार, 13 जुलाई 2010

कविता :हमारा ब्रह्माण्ड

हमारा ब्रह्माण्ड

यह ब्रह्माण्ड है कितना बड़ा
किस ग्रह पर हवा और पानी
यह सब कितना आजीब है
यह बात है अब हमने जानी
पृथ्वी पर ही देखा बस जीवन
जहां पर जीने की हर सुविधा
कुछ भी कहो लेकिन
यहाँ पर है हर चीज की सुविधा
इस अजीब सी दुनिया की
है हर बात निराली
हमको तो नहीं लगता है
की ब्रह्माण्ड है जीवों से खाली

लेखक :धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा :
अपना घर

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर बाल कविता..बधाई.
    _________________________
    अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.

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  2. अले पूरे ब्रह्माण्ड को ही कविता में समेट लिया...

    _____________________
    'पाखी की दुनिया' के एक साल पूरे

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  3. बहोत सुन्दर रचना है....

    _____________
    New post : father day card and cow boy

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