बुधवार, 16 जून 2010

कविता :बरसात का महीना

बरसात का महीना

बरसात का महीना बड़ा सुहाना ।
जब देखो तब बारिश होती ॥
रिमझिम-२ बरसता पानी ।
रात को रहता है गरम-गरम ॥
कपड़े पहनते तो और गरम ।
दिन में देखो तो बारिश होती ॥
जिधर भी देखो घास ही दिखती ।
बरसात का महीना बड़ा सुहाना ॥

लेखक :सोनू कुमार
कक्षा :
अपना घर

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