मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

सम्पादकीय : "दुश्मन बनी सरकार भगवान बने डकैत"

प्यारे दोस्तों,
वर्त्तमान समय में अपने देश की जो स्थिति है उसके एक हिस्सा बुंदेलखंड की कहानी मै आपको सुनाने जा रहा हूँ जिस तरह से मैंने देखा और समझा हैचुकी मै भी बुंदेलखंड से जुड़ा हुआ हूँ और वहां की पीड़ा को महसूस करताहूँ

" सरकार दुश्मन, भगवान डकैत"

भारत का नाम दुनिया के हर कोने पर लिया जाता है, कि भारत एक शांतिप्रिय, लोकतान्त्रिक और मानवता का पक्षधर देश हैऐसा माना जाता है कि यहाँ कि सरकार लोगो कि आम सहमती से बनती है और इस देश के हर नागरिक को समानता का अधिकार हैइस देश का हर नागरिक अपने को सरकारी कर्मचारियों के समक्ष सुरक्षित और निर्भय महसूस करे ऐसा वातावरण बनाने का काम भी इस देश कि सरकार का हैमगर दुर्भाग्यवश ऐसा माहौल अपने देश और प्रदेश कि सरकारे नहीं बना पाई हैवर्तमान समय में तो बुंदेलखंड कि गरीब जनता चम्बल के डकैतों के सामने अपने आप को ज्यादा निर्भय और सुरक्षित महसूस करती है, बजाय वहां के पुलिस और अन्य सरकारी कर्मचारियों केबुंदेलखंड कि गरीब जनता सरकारी दफ्तरों के बजाय अपने मामले और समस्याओं को सुलझाने के लिए डकैत के पास जाते है, और उन्ही को अपना भगवान या मददगार मानते हैइस देश में प्रतिदिन भ्रष्टाचार, अत्याचार, लूटपाट और बेतहासा बढती हुई महगाई से इस देश कि आम जनता परेशान हो गई हैसरकार और सरकारी कर्मचारी मासूम, बिना दोषी आम आदमी का उनका घर उजाड़ कर, जमीन छीनकर, कभी जेल में, कभी थाने में, तो कभी डकैत, माओवादी कहकर उन पर अत्याचार करती है और अपनी तोंद भरती रहतीहैथाने में रोज किसी बेगुनाह को पकड कर ले आते है और उनसे पैसे वसूल कर चाय, कोका कोला पीने के साथ साथ अपने घर में पैसा जमा करते हैइस देश के जनता के तथाकथित सेवक नेता और अफसर सी में बैठतेहै विस्लरी का बोतल बंद पानी पीते है, और इस देश का आम जनता जो इस देश का असली मालिक है, वो बिनाबिजली के अन्धेरें में दिया जलाकर और साफ पानी की जगह नाली तथा नहर का गन्दा पानी पीकर अपना गुजरबसर कर रही हैक्या इसी को लोकतान्त्रिक देश कहते है, मुझे तो लगता है की ये अत्याचार और भ्रष्टाचार का देशहै जंहा आम आदमी परेशान होकर डकैत या माओवादी के शरण में जाते हैरोज़ अख़बार देखता हूँ आज कुछ अच्छी खबर मिल जाये पढ़नें को मगर नहीं वही रोज हत्या, लूट, दहेज़, बलात्कार, घूस, चोरी, अपरहण, छेड़खानी, गुंडागर्दी की बुरी खबरे पढ़ने को मिलती हैकब हमारा देश सच में लोकतान्त्रिक होगा और अपने देश का आमआदमी सुखी, समृद्ध और निडर महसूस करेगा
लेखक: अशोक कुमार, कक्षा ७, अपना घर
"संपादक "
बाल सजग पत्रिका




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