एक था पान का पत्ता
दिखने में लगता जैसे लत्ता
सब इसको खाते कलकत्ते में,
अधिक दबाते इसको मुंह में।
पान सबका मुंह करता लाल,
तब तक मेरे फोन में आई काल।
हमने उठाया और बोला कौन ?,
उसने बोला मै हूँ मुंबई का " डान"।
फिर मैंने बोला अरे चुप हो जा मौन,
मै हूँ इस भारत का सबसे बड़ा " डान" ।
लेखक: चन्दन कुमार, कक्षा ४, अपना घर
बच्चों को सुन्दर सन्देश देती कविता ।बधाई
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