बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

कविता: तुलसी प्यारी

तुलसी प्यारी

कितनी न्यारी कितनी प्यारी,
बड़ी सुन्दर है इसकी क्यारी
छोटी छोटी इसकी डाली,
खिल रही देखो हरियाली।
लगती है ये बड़ी ही प्यारी,
इसकी पत्ती बड़ी ही न्यारी।
इससे बनती दवा है सारी,
इसकी खुश्बू बहुत ही प्यारी।
इसका नाम है बड़ा ही प्यारा,
तीन अक्षर का नाम है सारा।
सभी प्यार से कहते तुलसी,
सबके आंगन में रहती तुलसी।
कितनी न्यारी कितनी प्यारी,
जिसको चाहे दुनिया सारी।

लेखक: अशोक कुमार, कक्षा , अपना घर

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