सोमवार, 14 दिसंबर 2009

कविता हो गयी दिकत ख़त्म

हो गयी दिकत ख़त्म
आज के विज्ञान ने सब कुछ नापा है ,
आकाश को तक नहीं छोड़ा.....
सागर और धरती को पता नहीं,
उसने कैसे नापा है.....
छोटे -छोटे आणुओं से मिल कर,
न जाने कितने पदार्थ बनाया......
मानव उनका करता है उपयोग,
कभी न होता उनका सदुपयोग.......
जिससे बड़ी आसानी से होता कार्य,
कभी न होती उनमे दिकत.......
बड़े -बड़े आविष्कार हुए है,
जिनका बड़ा उपयोग हुआ है........
आज के विज्ञान ने सब कुछ नापा है,
आकाश को तक नहीं छोड़ा.......
लेखक अशोक कुमार कक्षा ७ अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें