गुरुवार, 26 नवंबर 2009

कविता: आओ मिलकर खेले खेल

आओ मिलकर खेले खेल

आओ सब मिल खेले कोई खेल,
जिससे हो जाए सबका मेल...
सोच के बोलो कौन सा होगा खेल,
जिससे हो जाएगा सभी का मेल....
ना कोई बल्ला ना कोई जेल,
होगा वह लुका छुपी का खेल....
कुछ बने चोर कुछ बने सिपाही,
बाकि सब बन जायें राही....
बीच में चोर आगे राही,
पीछे दौड़े पुलिस सिपाही....
जोर लगाकर भागो चोर,
आओ मिलकर मचाये शोर.....
यही है सबसे बढ़िया खेल,
जिससे होगा सबका मेल....


लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना घर, १८/११/२००९

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