हरहर सिंह की तरकीब
प्राचीन काल की बात है की एक राजा किसी नगर में राज्य करता था। वह बड़ा ही निर्दयी और क्रूर और हरदम दुखी रहने वाला राजा था। वह लोगो को हमेशा सताया और डराया करता था। वह सभी लोगो से अपने खेतों में काम करवाता था और काम के बदले जो भी पैसा तय करता उतने न देकर उससे बहुत ही काम पैसे देता था, मजदूर जब अपने पैसे मांगते थे तो उनकी पिटाई करता और उन्हें जेल में डाल देता। इस तरह से राजा नगर के लोगों को सताया करता था। उसी नगर में हरहर सिंह नाम काल एक नौजवान रहता था। उसकी उम्र लगभग २८ वर्ष थी, वह कुछ पढ़ा लिखा था और बहुत समझदार भी था। जब उसे पता चला की राजा नगर के वासियों के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है, तो हर हर सिंह ने लोगों को बुलाकर एक बैठक की और उन्हें समझाया कि हम लोगों को स्वतन्त्रता पूर्वक जीवन जीने का अधिकार है और हम लोगो से कोई जबरदस्ती करके काम नही ले सकता है। मगर हम लोगों को अपने अधिकार लेने के लिए एक साथ संगठित और शिक्षित होकर संघर्ष कारन पड़ेगा तब हमें अपना अधिकार मिलेगा। हमें अपना अधिकार तब मिलेगा सब हम सभी राजा के पास चलाकर इस अन्याय का विरोध करे और हम स्वतंत्रता पूर्वक जीवन जीने का अधिकार मांगे। बैठक के बाद कुछ लोगो राजा के पास जाकर विरोध करने के लिए तैयार ही गए, मगर कुछ लोगो राजा के डर से इस विरोध में शामिल नही हो रहे थे । हर हर सिंह ने उन लोगों को फ़िर से खूब समझाया कि राजा तुम्हारा कुछ नही कर सकता है न करेगा, इसलिए आप सभी इस संघर्ष में शामिल हो... ये तुम्हारा अधिकार है अगर आप नहीं लोगो तो वो कौन लेगा, तुम्हे अपना अधिकार लेने के लिए राजा का विरोध करना चाहिए, अगर नही करोगे तो तुम्हे अधिकार नही मिलने वाला है। इतन कहते ही सभी नगर वासी संघर्ष के लिए तैयार हो गए। औए अगले दिन राजा के राजा के दरबार में विरोध करने पहुँच गए और अपने अधिकार के मांग को लेकर नारे लगाने लगे। राजा सभी नगरवासियों को इकठ्ठा देख कर डर गया वो सोचने लगा कि कंही सभी मिलकर हमें पीटने न लगे। राजा सभी से बातचीत करने लगा और उसने नगरवासियों से कहा कि मै ग़लत था आप सबसे अपनी गलतियों के लिए माफ़ी चाहता हूँ । आज से आप सभी अपने मर्जी से काम का समय तय करेंगे और जो भी मजदूरी आप सभी मिल कर तय करेंगे वो मजदूरी आपको पूरी कि पूरी मिलेगी और राजा ने उनके सभी अधिकार दिए। नगर के लोगो इस जीत से बहुँत ही खुश हुए। नगरवासियों ने हरहर सिंह को इस जीत के लिए धन्यवाद् दिया और खूब बधाइयां दी। हरहर सिंह कि तरकीब देखकर राजा बहुँत ही प्रभावित हुआ। राज ने भी निर्दयता, क्रूरता, सताना और डरना छोड़कर लोगो के साथ अच्छा ब्यवहार करने लगा । राजा अब सभी के साथ खेतो में जाकर ख़ुद काम करने लगा सभी लोगो के साथ मिलकर उनके साथ प्रेमपूर्वक जीने लगा। इस प्रकर अब नगर के सभी लोग हरहर सिंह के साथ खुशी से रहने लगे साथ में अब राजा भी बहुत खुश रहने लगा....lekhak: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना ghar
दीप की ज्योति सा ओज आपके जीवन में बना रहे इस कामना के साथ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। आपकी बुद्धि में गणेश की छाया,घर में लक्ष्मी की माया और कलम में सरस्वती का वास रहे।
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