बुधवार, 26 अगस्त 2009

कविता: बन्दर और कलेंडर

बन्दर और कलेंडर

आसमान में टंगा कलेंडर,
उसको पढ़ रहे थे हाथी बन्दर....
आसमान से गिरा जब बन्दर,
चिपका गया धरती के अन्दर
धरती के अन्दर थे तीन बन्दर,
तीनों ने मारे जम के थप्पड़ ...
बन्दर भगा किचन के अन्दर,
खाने लगा घी और मक्खन....
लेखक: मुकेश कुमार, कक्षा ८, अपना घर

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