गुरुवार, 6 अगस्त 2009

कहानी: दो दोस्त और जंगल का राक्षस

दो दोस्त और जंगल का राक्षस

बहुत समय पहले की बात है की एक छोटा सा गाँव था, उसी गाँव में दो मित्र रहते थेएक का नाम था गंगू और दूसरे का नाम छंगू थागंगू चालक और बुद्धिमान था, क्योंकि वह पढ़ने जाता था, पर छंगू ही चालाक था ही बुद्धिमानवह बिल्कुल अनपढ़ और भोला था, यहाँ तक की उसने स्कूल का मुंह भी नही देखा थाघर में गरीबी होने के कारण वह पढ़ सका और छोटी उम्र में ही काम करने लगागंगू हमेशा छंगू के सामने अपना घमंड दिखाया करता था कि मै तुमसे कितना चालाक और बुद्धिमान हूँ, मगर छंगू कभी भी इन बातों का बुरा नही मानता थावो कहता था हा यार मै अनपढ़ भला कैसे बुद्धिमान हो सकता हूँ समय के साथ धीरे -धीरे दोनों मित्र बड़े हो गएएक दिन दोनों मित्रों ने आपस में बात की, कि चलो कंही घूमने चलते हैछंगू ने कहा कि चलो आज उस पास के जंगल में चलते हैदोनों मित्र टहलते-टहलते गाँव से दूर उस जंगल में गए, चारो तरफ़ घने पेड़ के जंगल थेगर्मी बहुत तेज थी गंगू को तेज प्यास लगी, गंगू कहने लगा अगर थोडी देर में मुझे पानी नही मिला तो शायद मै प्यास से मर जाऊछंगू ने गंगू को एक पेड़ के छाये में लिटा दिया और ख़ुद पानी ढूढ़ने के लिए जंगल कि तरफ़ चल दियाभटकते- भटकते आखिरकार वो एक कुएं के पास पहुँच ही गयाउस कुएं के पास के पेड़ पर दो बड़े राक्षस रहते थेकुएं का पानी मुहं तक लबालब भरा था, छंगू को भी अब तक प्यास लग गई थीवो झुक कर पानी पीने लगा, पानी पीने कि आवाज सुनकर पेड़ से दोनों राक्षस धड़ाम से जमीं पर कूद पड़ेछंगू अचानक आवाज सुनकर थोड़ा डर गया उसने पीछे देखा तो दो बड़े राक्षस खडे थेदोनों राक्षस ने छंगू से पूछा कि तुम कौन हो और यंहा पर क्या कर रहे होछंगू बहादुर था उसने बिना डरे बताया कि मेरा नाम छंगू है, और मै पास के गाँव का रहन वाला हूँमै और मेरा दोस्त गंगू आज इधर घूमने आये थेमेरा दोस्त अभी प्यास से बेहाल होकर पेड़ के पास पड़ा है, मै उसके लिए पानी लेने आया हूँछंगू के निडरता और दोस्त के लिए प्यार देखकर दोनों राक्षस बहुत खुश हुए , दोनों राक्षसों ने कहा कि हम दोनों भी दोस्त है और हम दोनों एक दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैउन्होंने छंगू को एक बर्तन में पानी तथा ढेर सारे मिठाई, फल दिए, और कहा अपने दोस्त को खिलाना और हमेशा अच्छे दोस्त बनकर रहनाछंगू पानी और मिठाई लेकर गंगू के पास पंहुचा, उसे पानी पिलाया और फ़िर दोनों ने जमकर मिठाई औरफल खाया, साथ ही छंगू ने गंगू को उन दोनों राक्षस कि बात भी बताई कि किस तरह पानी लेते हुए वे दोनों भले राक्षस गए थे, और उन्होंने ने ये फल और मिठाई दिएगंगू को कहानी सुनते - सुनते आँखों से आंसू गए कि किस तरह छंगू ने अपने जान की परवाह करते हुए उसकी जान बचाई, साथ ही गर्व भी हुआ कि उसका दोस्त कितना बहादुर हैमगर अपने पर शर्मिंदा होने लगा कि मै किस तरह छंगू को नीचा दिखता था, और अपने पर घमंड करता थागंगू रोते हुए अपने गलतियों के लिए छंगू से माफ़ी मांगने लगा, छंगू ने उसे गले लगाते हुए कहा धत पगले दोस्तों में माफ़ी मांगते है, इतना कहते-कहते छंगू के भी आँखों से आंसू टपकने लगेदोनों दोस्त वापस अपने गाँव आये और खूब मजे से प्रेम पूर्वक रहने लगे

लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा , अपना घर

1 टिप्पणी: