मंगलवार, 14 जुलाई 2009

कविता:- चोर नेता और सिपाही

चोर नेता और सिपाही
पुलिस खड़ी है थाने में।
चोर है जेल के खाने में॥
पुलिस है डंडा लेकर खड़ी।
मूछे है उनकी बड़ी-बड़ी॥
पुलिस का है डंडा जब पड़ा।
चोर बड़ा गुस्से से खड़ा॥
गाँव में की जब चोर ने चोरी।
थाने ने उसके नाम की फाईल खोली
तब संसद में बैठा नेता।
झट उसने जब पैसा फेंका॥
फाईल झट से बंद हो गई।
चोरो पर कार्यवाही ख़त्म हो गई।।
चोर नेता और सिपाही
आपस में ये सभी है भाई॥

अशोक कुमार, कक्षा , अपना घर

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