रविवार, 7 जून 2009

कविता: धोबी और लोहार

धोबी और लोहार
एक गधे पर चार सवार
उसमें दो धोबी और दो लोहार
घूम - घाम के सब पहुचें मंडी
दोनों धोबी ने खरीदी भिन्डी
दोनों लोहार को गुस्सा आया
दोनों ने दो दर्जन केला खाया
गधे को धोबी ने खिलाया ककड़ी
ककड़ी में छिपी थी काली मकड़ी
गधे की गर्दन में मकड़ी ने बुना जाल
गधे जी दर्द के मारे हुए बेहाल
गधे को देखकर चारो का हुआ बुरा हाल
पाँव उठाके भागे और पहुच गए ननिहाल
कविता: आदित्य कुमार, कक्षा , अपना घर


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