शनिवार, 9 मई 2009

कविता: रात के अंधेरे में


रात के अंधेरे में
रात के अंधेरे में भूतों के डर से।
निकल पड़ा दुसरे पड़ोसी के घर से॥
रास्ते में निकल पड़ा सांप लंबा सा।
दूर से दिखा तो लगा बिल्कुल लकड़ी सा॥
पास जाकर देखा तो मै डर गया।
डर के मारे मै पड़ोसी के घर भाग गया॥
बीती रात हुआ जब उजाला।
तब मै पड़ोसी के घर से निकला॥
गा रही थी चिड़िया पेडों पर।
मै पहुँच गया अपने घर पर॥


कविता
: आदित्य कुमार, कक्षा ६, अपना घर
पेंटिंग: ज्ञान कुमार कक्षा ५, अपना घर

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