एक बच्चे की सीख
बहुँत साल पहले की बात है कि एक गाँव में सुंदर नाम का किसान रहता था, उसकी पत्नी का नाम पारो था। शादी के कई साल बाद उनके घर में एक बेटे ने जन्म लिया। सुंदर और पारो दोनों बहुँत खुश हुए , बड़े प्यार से उन्होंने अपने बेटे का नाम राम रखा, धीरे - धीरे उनका बेटा बड़ा हो गया। अब खेतो में काम करने सुंदर और उसका बेटा राम दोनों जाने लगे, लेकिन सुंदर अपने बेटे से सदा कहता रहता तुम आराम से पेड़ की छाया में लेटो खेती - बाड़ी का काम मै ख़ुद कर लूँगा। खेतो में जब पारो खाना लेकर आती थी तो अपने पति को अकेले काम करते देखकर उसे बहुँत दुःख होता था, वह कभी क्रोध में आकर कहने लगती क्या तुम सारी उम्र यूं ही काम करते रहोगे, राम अपना जवान हो गया है उससे भी काम करवाओ। सुंदर हंसकर कहने लगता कि काम करने से मेरा कुछ नही बिगड़ने वाला, पारो गुस्से में बोलती हां आपने शरीर को पत्थर समझ रखा है । सुंदर कहता ला खाना दे.... छोड़ इन बातो को और वो खाना खाने लगता। एक बार सारे गाँव में प्लेग की भयंकर बीमारी फ़ैल गई इसी बीमारी से पारो बेचारी मर गई। सुन्दर बहुँत रोया, कुछ दिनों बाद सुंदर ने अपने बेटे राम की शादी कर दी, और उसके पास चारा भी क्या था। वक्त के साथ सुन्दर बूढा हो गया, उसे बीमारी ने बुरी
तरह से जकड़ लिया था, सुंदर का ठीक होने का कोई रास्ता नही था। इसी बीच राम के घर एक बेटे ने जन्म लिया उसका नाम पाल रखा गया, वो अब करीब १० साल का हो गया
था। एक दिन राम ने अपनी पत्नी से कहा के ये पिता जी अब हम पर बोझ बन गए है और ये बूढा मरता भी नही की हमको इससे छुटकारा मिले। ऐसा करते है हम लोग इसे जंगल में ले जाकर जिन्दा दफना देते है । राम और उसकी पत्नी दोनों ने ये तय किया कि
कल जंगल में जाकर पिता जी को दफ़न देते है। अगले दिन रात को राम अपने पिता जी का हाथ - पैर बाँध कर जंगल ले जाने लगता है, तभी उसका बेटा पाल आ के कहता है की मै भी चलूँगा। राम मना करता है लेकिन जिद के कारण वो पाल को लेकर जंगल की तरफ जाता है। जंगल में पहुच कर राम एक गड्ढा खोदता है और फ़िर अपने पिता जी से बोलता है कि पिता जी अब मै आपको इस गढ्ढे में डालकर आपके सारे दुःख: दूर कर दूंगा । पाल यह सब देखा रहा होता है दादा जी को जिन्दा दफनाना वो पिता जी से
बोलता है पापा अब मैंने भी समझ लिया की दुःख दूर कैसे किया जाता है, आप चिंता मत करियेगा आपको मै इससे भी जल्दी दफना कर आपका दुःख दूर करूँगा। राम को अपने बच्चे के मुंह से ये बात सुनकर दुःख होता है उसे समझ में आ जाता है की वो कि वो कितनी बड़ी गलती करने जा रहा था। राम पिता जी से अपनी इस गलती के लिए माफ़ी मांगता है , और उनको
घर वापस लाता है। राम अब अपने पिता जी अच्छे से ख्याल रखने लगता है........
शिवांगी
अपना स्कूल, धामीखेडा, कक्षा ४
बहुत दिनों बाद वापस सीख याद आ गई।
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