बुधवार, 8 अप्रैल 2009

कहानी:- आपबीती


आपबीती
मै आशीष हूँ मै आपको आज आपबीती कहानी सुना रहा हूँ । २००८ अप्रैल की बात है मै कानपुर में लोधर के पास सेठ ईट-भठ्ठे में ईट की निकासी का काम करता था । शाम को निकासी का काम खत्म होने के बाद मै अपने ३ दोस्तों के साथ अपना घर, नानाकारी में रहने वाले दोस्त मुकेश, सोनू , हंसराज जो कभी मेरे जैसा ही निकासी का काम ईट भठ्ठे पर करते थे मिलने के लिए चल पड़ा। मुझे रास्ता मालूम नही था हम चारो लोग नानकारी चंदेल गेट से आई आई टी कानपुर में घुस गए। आई आई टी की पक्की सड़के देख कर मैंने सोचा की यंही कही पर अपना घर होगा वंहा पर मुकेश लोग होंगे तो पहचान लेंगे इस प्रकार हम लोग पहुच जायेंगे। हम लोग चलते चलते आई आई टी के हवाई अड्डे के पास पहुच गए थे तबतक हम लोगो को मालूम नही था की आई आई टी कानपुर में बिना पास के घूमना मना है। हम चारो लोग हवाई अड्डे की जाली फांदकर अन्दर जाने वाले थे पर नही गए। तब तक एक गार्ड (एस आई एस ) आया, उसने हम लोगो से पूछा की यंहा पर क्या कर करने आए हो और कहा तुम्हारे पास आई आई टी का पास है , हम लोग पास जानते नही थे हम लोगो ने कहा नही , तो उस गार्ड ने हम लोगो को गन्दी गली देते हुए एक -एक तमाचा मार कर भगा दिया। हम लोग वंहा से दुखी मन से वापस अपने ईट भठ्ठे पर आ गए। आज मै भी अपना घर हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई कर रह हूँ। आज जब मै आई आई टी कानपुर के मैराथन में हिस्सा लेकर दौड़ रहा था वंहा पर सुरक्षा में लगे गार्ड ( एस आई एस ) को देख कर उस दिन की घटना याद आ गई...
आशीष कुमार, अपना घर, कक्षा ६

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