बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

कविता:- बन्दर की बारात

बन्दर की बारात
बन्दर जी की आज बारात
हाथी भालू शेर और चीते
नाच रहे है एक साथ में
गा रहे है एक संग में
उन चारो ने धूम मचा दी
बारात को भी खूब सजा दी
बन्दर जी ने धूम मचा दी
बंदरिया को खूब नचा दी
बन्दर की बारात ला दी
बंदरिया से उनको मिलवा दी
सोनू कुमार
कक्षा ७, अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें