tag:blogger.com,1999:blog-6927750092483053365.post4205429609173377214..comments2023-10-30T14:30:18.184+05:30Comments on बाल सजग: कहानी :सपनों में परियाँBAL SAJAGhttp://www.blogger.com/profile/12202593604973354418noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6927750092483053365.post-16223251998270355982013-01-05T10:40:14.939+05:302013-01-05T10:40:14.939+05:30मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे ...मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था | वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी | उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी | एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ | वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ? अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया |<br />मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये | मैंने उनसे कहा, 'माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है? तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है | तुम मर क्यों नहीं जाती ?'माँ ने कुछ नहीं कहा | पर, मैंने उसी पलतय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाये |<br />उसके बाद मैंने म्हणत से पढाई की | माँको छोड़कर बड़े शहर आ गया | यूनिविर्सिटी की डिग्री ली | शादी की| अपना घर ख़रीदा | बच्चे हुए | और मै सफल व्यक्ति बन गया | मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी | मेरीखुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी, तभीअचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी | सामने मेरी माँखड़ी थी, आज भी अपनी एक आँख के साथ | मुझे लगा मेरी कि मेरी पूरी दुनिया फिर से बिखर रही है | मैंने उनसे पूछा, 'आप कौन हो? मै आपको नहीं जानता | यहाँआने कि हिम्मत कैसे हुई? तुरंत मेरे घर से बाहर निकल जाओ |' और माँ ने जवाब दिया, 'माफ़ करना, लगता है गलत पते पर आगयी हूँ |' वो चली गयी और मै यह सोचकर खुश हो गया कि उन्होंने मुझे पहचाना नहीं |<br />एक दिन स्कूल री-यूनियन की चिट्ठी मेरे घर पहुची और मैं अपने पुराने शहरपहुँच गया | पता नहीं मन में क्या आया कि मैं अपने पुराने घर चला गया | वहां माँ जमीन मर मृत पड़ी थी | मेरे आँख सेएक बूँद आंसू तक नहीं गिरा | उनके हाथ में एक कागज़ का टुकड़ा था... वो मेरे नाम उनकी पहली और आखिरी चिट्ठी थी |<br />उन्होंने लिखा था :<br />मेरे बेटे...<br />मुझे लगता है मैंने अपनी जिंदगी जी लीहै | मै अब तुम्हारे घर कभी नहीं आउंगी... पर क्या यह आशा करना कि तुम कभी-कभार मुझसे मिलने आ जाओ... गलत है ?मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है | मुझे माफ़ करना कि मेरी एक आँख कि वजह से तुम्हे पूरी जिंदगी शर्मिन्दगी झेलनीपड़ी | जब तुम छोटे थे, तो एक दुर्घटना में तुम्हारी एक आँख चली गयी थी | एक माँ के रूप में मैं यह नहीं देख सकती थी कि तुम एक आँख के साथ बड़े हो, इसीलिए मैंने अपनी एक आँख तुम्हे दे दी | मुझे इस बात का गर्व था कि मेरा बेटा मेरी उस आँख कि मदद से पूरी दुनिया के नए आयाम देख पा रहा है | मेरी तो पूरी दुनिया ही तुमसे है |<br />चिट्ठी पढ़ कर मेरी दुनिया बिखर गयी | और मैं उसके लिए पहली बार रोया जिसने अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दी... मेरी माँAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07927238788474175679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6927750092483053365.post-90339713096271565692010-11-05T09:21:18.214+05:302010-11-05T09:21:18.214+05:30अच्छी काहानी ......दिवाली की हार्दिक शुभकामनायेंअच्छी काहानी ......दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें Chaitanyaa Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17454308722810077035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6927750092483053365.post-62824847629054329182010-11-04T17:24:52.120+05:302010-11-04T17:24:52.120+05:30दिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँदिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँमाधव( Madhav)https://www.blogger.com/profile/07993697625251806552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6927750092483053365.post-17919837309157674892010-11-04T13:07:39.673+05:302010-11-04T13:07:39.673+05:30अच्छी काहानी लिखी है आपने
आपको सपरिवार दिपोत्सव की...अच्छी काहानी लिखी है आपने<br />आपको सपरिवार दिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ<br />मेरी पहली लघु कहानी पढ़ने के लिये आप सरोवर पर सादर आमंत्रित हैंआशीष मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/15289198446357998161noreply@blogger.com